"इतिहास - दृष्टि बदल चुकी है...इसलिए इतिहास भी बदल रहा है...दृश्य बदल रहे हैं ....स्वागत कीजिए ...जो नहीं दिख रहा था...वो दिखने लगा है...भारी उथल - पुथल है...मानों इतिहास में भूकंप आ गया हो...धूल के आवरण हट रहे हैं...स्वर्णिम इतिहास सामने आ रहा है...इतिहास की दबी - कुचली जनता अपना स्वर्णिम इतिहास पाकर गौरवान्वित है। इतिहास के इस नए नज़रिए को बधाई!" - डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह


18 November 2010

Jhalkari Bai was a Meghvanshi - झलकारी बाई मेघवंशी थी



रामसा कङेला मेघवॅशी की फेसबुक वॉल से यह चित्र लिया गया है.
A month ago I got a call from Pritam Bhagat, Pathankot. Citing a book he told that there was a Megvanshi Amazon in the army of Rani Lakshmi Bai of Jhansi. She resembled the queen. I found reference on a blog. There was yet another reference on Wikipedia. Jhalkari Bai belonged to Kori community. She helped Lakshmi Bai escape from the fort and after that she fought bravely as Queen and was killed while fighting. Government of India issued a stamp in her honor. This is an example that Megvanshi men and women have their identity as brave warriors in the forces.

महीना भर पहले मुझे पठानकोट से श्री प्रीतम भगत का फोन आया था. उन्होंने एक पुस्तक का संदर्भ देते हुए कहा था कि एक मेघवंश की एक वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की सेना में थी और उसकी हमशक़्ल थी. आज उसके बारे में एक ब्लॉग के माध्यम से संदर्भ मिला और विकिपीडिया से दूसरा संदर्भ भी मिल गया कि वे कोरी (मेघवंशी) समुदाय की थी. लक्ष्मी बाई को किले से बच कर निकलने में उसने न केवल सहायता की बल्कि उसी के रूप में वीरता से लड़ते हुए वहीं शहीद हुई. भारत सरकार ने उसके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया था.  दोनों संदर्भ नीचे दिए गए हैं. यह एक उदाहरण है कि मेघवंशी पुरुष और महिलाएँ योद्धा के रूप में सेनाओं में अपनी पहचान रखते रहे हैं.


2. झलकारी बाई Retrieved on 18-11-2010

3. यू-ट्यूब पर झलकारी बाई Retrieved on 18-11-2010

4. झलकारी बाई -  बुंदेलखंड की वीरांगना



(22-11-2012 को फेस बुक से प्राप्त जानकारी

Kuldeep Wasnik)

"4 जून 1858 को जनरल ट्युरोज के शब्द थे "अगर हिंदुस्तान की एक फीसदी लड़कियाँ भी झलकारी की तरह हो जाए तो हमे ये देश छोड़कर भागना पड़ेगा".


लक्ष्मीबाई कभी भी अंग्रेजों से नहीं लड़ी बल्कि उसके भेष में बहुजन समाज की कोरी जाति की झलकारी देवी ही बहादुरी से लड़ी. बल्कि लक्ष्मीबाई किले के भंडारी गेट से भागती हुई मारी गई. ब्राह्मण इतिहासकारों ने झांसी की ब्राह्मणकन्या लक्ष्मीबाई, जो कि रानी भी नहीं थी बल्कि मामूली जागीरदारन थी, को न केवल रानी करार दिया बल्कि उसके किले के तट से घोड़े के साथ छलाँग लगाने की बात का भी झूठा प्रचार किया. लक्ष्मीबाई को घोड़े पर ठीक से बैठना भी नहीं आता था. घोड़े पर बैठने के लिए उसे सहायकों की मदद दरकरार थी अंग्रेजों के हमला करने के बाद अंग्रेजों से लड़ना तो दूर वह अपनी जान बचाने भाग खड़ी हुई. उसके बावजूद झलकारी देवी की युद्ध कला में निपुणता निर्भीकता और वीरता देख कर अंग्रेज सेनापति आश्चर्यचकित हो उठे. ऐसी महान वीरांगणा झलकारी देवी का जन्म 22 नवंबर 1830 को झाँसी जनपद के भोजला ग्राम में तीरंदाज सदोबा अहीरवार कोरी परिवार में हुआ था. आज उनकी 182 वीं जयंती पर उनकी स्मृति को विनम्र अभिवादन."


मचा झाँसी में घमासान चहुँ ओर मची किलकारी थी

अँग्रेजों से लोहा लेने रण में कूदी झलकारी थी

मचा झाँसी में घमासान चहुँ ओर मची किलकारी थी

अँग्रेजों से लोहा लेने रण में कूदी झलकारी थी

जाकर रण में ललकारी थी वह तो झाँसी की झलकारी थी

गोरों से लड़ना सिखा गयी रानी बन जौहर दिखा गयी है



इतिहास में झलक रही वह भारत की सन्नारी थी

(फेस बुक से आर.डी. पांधी के सौजन्य से)


मेघवंशी कोलेरियन मानव से संबंधित माने जाते हैं. मेघवंशी मतलब कोली, कोरी, बुनकर समुदाय. इसी समुदाय के कुछ उत्साही सदस्यों ने उरई, उत्तर प्रदेश से एक पत्रिका 'झलकारी परिवार संदेश' (Jhalkari Parivar Sandesh) का प्रकाशन शुरु किया है. आप भी इस से जुड़ सकते हैं



6 comments:

  1. .

    अच्छी लगी जानकारी । लखनऊ में "झलकारी बाई अस्पताल " [ स्त्री एवं प्रसूति विभाग] में मैंने दो वर्ष चिकित्सा कार्य किया है।

    .

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  2. Very good and interesting information! Thanks for sharing, sir.

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  3. a good information related to megwal samaj ....Thanks sir for sharing this one................

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  4. @ दिव्या
    @ अंजना
    @ बंटी
    आप सभी का मैं हृदय से आभारी हूँ.

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